रेड-कार्पेट की परंपरा को तोड़ते हुए इंटरनेशनल इंडियन फिल्म एकेडमी (आईफा) ग्रीन-कार्पेट की मिसाल कायम रखे हुए है ग्रीन कार्पेट की उत्पत्ति वर्ष 2007 में आईफा स्टोरी- ग्रीनिंग द आईफा के साथ हुई #IIFAYASISLANDABUDHABI2023



लंदन की हृदयस्थली प्रतिष्ठित मिलेनियम डोम में नई सहस्राब्दी की शुरुआत में, वर्ष 2000 में 21वीं शताब्दी के

सबसे महान और सबसे बड़े एंटरटेनमेंट आईपी में से एक- आईफा की उत्पत्ति हुई।


सिनेमाघरों, व्यवसायों, समुदायों और देशों के बीच की दूरी को खत्म करने के लिए समर्पित, हर किसी का सपना

था: "वन पीपल, वन वर्ल्ड"। 21 वर्ष पूर्व देखा गया भारतीय सिनेमा को दुनिया के सामने लाने का यह सपना

आईफा के माध्यम से पूरा हो सका। इसने विश्वभर में उत्सव का माहौल बना दिया, जो न सिर्फ लोगों, बल्कि देशों,

संस्कृतियों और राष्ट्रों को सिनेमा के मंच से जोड़ता था, जो कि आज तक जारी है।


आईफा वर्षों से चली आ रही जादुई और अविस्मरणीय यादों को जीवंत रखे हुए है, जो विश्वविख्यात है।


इंडस्ट्री में प्रमुख होने पर गर्व करते हुए, आईफा ने हमेशा आईफा वीकेंड एंड अवॉर्ड्स के दायरे में पर्यावरण एजेंडा

को प्रखर रखा है, जब उन्होंने वर्ष 2007 में 'ग्रीनिंग द आईफा' अवधारणा की शुरुआत की और पारंपरिक रेड

कार्पेट्स के बजाए चमकीले ग्रीन कार्पेट्स को इस विचार का प्रतीक बनाया।


आईफा के सितारों सहित सिएना मिलर, कॉलिन फर्थ और प्रियंका चोपड़ा से लेकर अमिताभ बच्चन तक ने आईफा

के इस विचार की सराहना की है और गर्व से इस बात को स्वीकार करते हुए आगे बढ़ रहे हैं कि हम सभी अपने घरों

और दुनिया में बदलाव ला सकते हैं। आईफा ने हमेशा ही पर्यावरण पर महत्वपूर्ण संदेश देने में योगदान दिया है।


इसमें शामिल सितारे और मशहूर हस्तियाँ वैश्विक स्तर पर दर्शकों और प्रशंसकों को पर्यावरण के लिए संदेश देने

के लिए प्रतिबद्ध हैं और निश्चित तौर पर सेलिब्रिटी फॉलोइंग की शक्ति के साथ, यह काम कर गया है।


स्थिरता के लिए ये अवॉर्ड्स, फैशन हाउसेस की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं, ...


भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े जश्न के आगाज़ में अब कुछ ही समय शेष है। यास द्वीप, अबू धाबी में 26 और 27

मई, 2023 को इंटरनेशनल इंडियन फिल्म एकेडमी (आईफा) और अवॉर्ड्स का आयोजन होने जा रहा है।

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