इस अप्रैल फ्लावर डे पर टीवी कलाकारों ने अपने सबसे अजीब प्रैंक के बारे में बताया!




हर साल 1 अप्रैल को फूल दिवस या मूर्ख दिवस मनाया जाता है, जो प्रसिद्ध प्रैंक करने के लिए है। यह आपके रूटीन के काम को मजेदार बनाता है। मौज-मस्ती के इस परिदृश्य पर एण्डटीवी के कलाकार-आयुध भानुशाली ('दूसरी मां' के कृष्णा), गजल सूद ('हप्पू की उलटन पलटन' की बिल्ली सिंह) और रोहित घर गौड़ ('भाबीजी पर हैं' के मनोज तिवारी) ने अपने सह-कलाकार सह-कलाकार के साथ और भी अजीबोगरीब हरकतों से जुड़ी यादों को ताजा किया। कृष्णा की भूमिका निभा रहे आयुध भानुशाली ने कहा, ''सेट पर मुझे लोग प्रैंकस्टर देश बुलाते हैं। मैं अपने सह-कलाकारों पर शरारत करता हूं और लोगों को हंसाने का कोई मौका नहीं गंवाता। मेरी मां अक्सर मेरी शाररतों से दुःखी हो जाती हैं, लेकिन अप्रैल फूल्स डे तो अपवाद होना नहीं (हंसते हैं)। मैं नेहा दीदी (नेहा जोशी) के बेहद करीब हूं, जोकि शो में मेरी मां का किरदार निभा रही हैं। मेरे शरारतों से वो नज़रअंदाज़ किए जाते हैं। हाल ही में, हम एक गंभीर सीन की शूटिंग कर रहे थे, जैसे उन्होंने हमें सीन के लिए बुलाया, मैंने उनके राइट्स पर निशान छिड़का। उस समय उनके चेहरे के जो भाव थे, वह मैं कभी नहीं भूल सकता। वह इतना घबरा गया कि उसने हमारे संबद्ध निदेशक को फोन किया और उनका अधिकार बदलने का अनुरोध किया, क्योंकि उन्होंने हल्का रंग की प्रतिष्ठा रखी हुई थी। लेकिन प्रामाणिक की जल्दी ही प्राप्त कर लिया। मैं हंस-हंस कर लोट-पोट हो रहा था। वह एक जेल इंक था, जो पूरी तरह से गायब हो गया था। मैं इस साल अप्रैल फूल डे पर उनके साथ शरारत करने की सोच रहा हूं, लेकिन मैं यहां पर उसके बारे में नहीं बता सकता, क्योंकि मैंने यदि पहले से ही बताया कि मैं क्या करने वाला हूं, तो फिर वह मजा नहीं लेगा। मिलेगा।'' वह मैं कभी नहीं भूल सकता। वह इतना घबरा गया कि उसने हमारे संबद्ध निदेशक को फोन किया और उनका अधिकार बदलने का अनुरोध किया, क्योंकि उन्होंने हल्का रंग की प्रतिष्ठा रखी हुई थी। लेकिन प्रामाणिक की जल्दी ही प्राप्त कर लिया। मैं हंस-हंस कर लोट-पोट हो रहा था। वह एक जेल इंक था, जो पूरी तरह से गायब हो गया था। मैं इस साल अप्रैल फूल डे पर उनके साथ शरारत करने की सोच रहा हूं, लेकिन मैं यहां पर उसके बारे में नहीं बता सकता, क्योंकि मैंने यदि पहले से ही बताया कि मैं क्या करने वाला हूं, तो फिर वह मजा नहीं लेगा। मिलेगा।'' वह मैं कभी नहीं भूल सकता। वह इतना घबरा गया कि उसने हमारे संबद्ध निदेशक को फोन किया और उनका अधिकार बदलने का अनुरोध किया, क्योंकि उन्होंने हल्का रंग की प्रतिष्ठा रखी हुई थी। लेकिन प्रामाणिक की जल्दी ही प्राप्त कर लिया। मैं हंस-हंस कर लोट-पोट हो रहा था। वह एक जेल इंक था, जो पूरी तरह से गायब हो गया था। मैं इस साल अप्रैल फूल डे पर उनके साथ शरारत करने की सोच रहा हूं, लेकिन मैं यहां पर उसके बारे में नहीं बता सकता, क्योंकि मैंने यदि पहले से ही बताया कि मैं क्या करने वाला हूं, तो फिर वह मजा नहीं लेगा। मिलेगा।'' 


ग़ज़ल सूद, जोकि कैट सिंह का किरदार निभा रहे हैं, ने कहा, ''हमारे सेट पर योगेश जी (दरोगा हप्पू सिंह) एक प्रैंकस्टर हैं। वह अपने मजेदार शरारतों से हमेशा हंसते रहते हैं। लेकिन एक दिन, मैंने उन पर ही शरारत करने का फैसला किया और वह हमारी शरारत में फंसा भी (हंसती हैं)। एक सीन की शूटिंग के दौरान मैंने उनसे कहा कि, 'आपकी मूनछें थोड़ी तेढ़ी लग रही हैं।' इतने नंबर ही उन्होंने मेकअप आर्टिस्ट को मूछों को ठीक करने के लिए बुला लिया। थोड़ी देर बाद मैंने उनसे फिर कहा, 'आपकी मूछें अभी भी थोड़ी टेढ़ी लग रही हैं।' इसके बाद उन्होंने आईना मंगवाया और मेकअप आर्टिस्ट को फिर से मूंछें ठीक करने के लिए कहा। वह इतना अवाक हो गया कि थोड़ी देर बाद उसने मुझसे पूछा शुरू कर दिया कि अब तो मुंछें ठीक नहीं हैं। वह हमारे डायरेक्टर के पास भी गए और उन्हें लगे कि कैमरे पर मेरी चांदें ठीक लग रही हैं ना, जिस पर उन्होंने कहा कि, 'ठीक लग रहा है, पर आप फिर से फिक्सिंग करना चाहते हैं तो कर सकते हैं।' वह बार-बार अपने मूंछों को ठीक कर रहे थे। उन्हें देखकर हमें बहुत हंसी आ रही थी। पैक-अप के दौरान, मैंने आखिरकार उन्हें बताया कि उनका मुंछें बिल्कुल ठीक था और मैं उनके साथ शरारत कर रही थी। यह सुनकर वह पहुंच गया, लेकिन उसके तुरंत बाद हंस भी पड़ गए। मैं अपने प्रियजनों के साथ मौज-मस्ती करने को कोई भी मौका हाथ से नहीं गंवाता हूं। हमारे शो मी की एक कहानी के लिए, शुभांगी अत्रे में डरावनी भाभी की भूमिका निभा रही थी। मुझे उनकी तरह पहनना था, मेकअप करना था और हेयरस्टाइल बनाना थे, जोकि सबसे ज्यादा जरूरी थे। उस दिन हर कोई मेरे साथ बैठकर हंस रहा था। मैंने उनके साथ मस्ती करने का फैसला किया। वे जब भी शुभांगी को सीन के लिए बुलाते थे, मैं कैमरे के सामने खड़ा हो जाता हूं। उन्हें लगा कि मैं गलती से ऐसा कर रहा हूं, लेकिन मैंने बार-बार ऐसा किया और इससे वे चिढ़ गए। यह शरारत मैंने और शुभांगी जी ने मिलकर की थी। इतना ही नहीं, जब वे तिवारी जी के लिए मेरे बारे में मुझे बुलाते थे, तो मैं कोई ध्यान ही नहीं देता था। मैं बस उसी फ्रेम में जाता था, जब वे कहते थे कि 'अंगूरी, फ्रेम में आओ।' मैंने अपने निदेशकों और उनके अभिभाषकों और अपने सहयोगियों को भी इतना कंफ्यूज कर दिया था कि वे मेरे काम के लिए जिम्मेदार थे। उस दिन से लेकर आज तक सभी लोग उस शरारत और मस्ती को याद करते हैं (हंसते हैं।)'' तो मैं कोई ध्यान ही नहीं देता था। मैं बस उसी फ्रेम में जाता था, जब वे कहते थे कि 'अंगूरी, फ्रेम में आओ।' मैंने अपने निदेशकों और उनके अभिभाषकों और अपने सहयोगियों को भी इतना कंफ्यूज कर दिया था कि वे मेरे काम के लिए जिम्मेदार थे। उस दिन से लेकर आज तक सभी लोग उस शरारत और मस्ती को याद करते हैं (हंसते हैं।)'' तो मैं कोई ध्यान ही नहीं देता था। मैं बस उसी फ्रेम में जाता था, जब वे कहते थे कि 'अंगूरी, फ्रेम में आओ।' मैंने अपने निदेशकों और उनके अभिभाषकों और अपने सहयोगियों को भी इतना कंफ्यूज कर दिया था कि वे मेरे काम के लिए जिम्मेदार थे। उस दिन से लेकर आज तक सभी लोग उस शरारत और मस्ती को याद करते हैं (हंसते हैं।)'' 



देखिये 'दूसरी माँ' रात 8:00 बजे, 'हप्पू की उलट पलटन' रात 10:00 बजे और 'भाबीजी घर पर हैं' रात 10:30 बजे, हर सोमवार से शुक्रवार, बस एक टीवी पर!

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