हम ज़िंदगी भर अपने-आप को कोसते रहते हैं कि ज़िंदग़ी में कुछ अच्छा करना चाहते थे लेकिन कर नहीं पाएं! काश, हम भी कुछ अच्छा कर पाते...काश, हम भी दान धर्म कर कर पुण्य कमा पाते...! क्या आपके मन में भी कभी-कभी ऐसे विचार आते है? यदि हां, तो अंधविश्वास छोडिए...अंगदान या देहदान कीजिए...!
शरीर के उपयोगी अंग जैसे आंखों की कॉर्निया, लीवर, हड्डी, त्वचा, फेफड़े, गुर्दे, दिल, टिश्यू इत्यादि का दान करना अंगदान कहलाता है। जबकि अपना संपूर्ण शरीर मेडिकल प्रयोग या अध्ययन हेतु दान देने को देहदान कहते है। एक शोध के अनुसार ब्रेन डेड व्यक्ति के दिल, फेफड़े समेत कुल 25 ऑर्गन किसी जरूरतमंद व्यक्तियों की मदद हो सकती है, तो देहदान से चिकित्सा में विकास से पूरी मानव जाती लाभान्वित हो सकती है।
अंगदान से जीवन मिलता है। सिर्फ़ भगवान ही नहीं, हम भी किसी को जीवन दे सकते है! यह सभी दानों में सर्वश्रेष्ठ है।
इसी उद्देश्य से यह संकल्प शहर कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष विवेक यादव ने स्थानीय मनोरमा गार्डन में आयोजित अपने जन्मदिन के समारोह में लिया ।राजनीतिक व्यक्ति के द्वारा जीवन के साथ और जीवन के बाद भी सेवा में लगे रहने का अनूठा संकल्प पूरा करने के उद्देश्य से अपनी देह दान करने का साहसिक निर्णय लिया उनका कहना है कि देह दान से किसी का जीवन तो बच सकता है वही मनुष्य देह चिकित्सा शिक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है इसलिए मेरे द्वारा यह संकल्प लिया गया है।
उज्जैन से विजय ठाकुर की रिपोर्ट।